श्री योग अभ्यास आश्रम ट्रस्ट के अन्तर्गत स्वामी अमित देव जी के सान्निध्य में सावन के महिने में वैश्विक महामारी कोरोना के निदान के लिए योगेश्वर देवीदयाल महामन्दिर तिलक नगर में 04 जूलाई 2020 सावन का महीना आरम्भ होते ही योगेश्वर देवीदयाल जी महादेव के नित्य लीला प्रवेश उत्सव के उपलक्ष में पूजा-पाठ के कार्यक्रम आरम्भ कर दिए जिसमें सुबह 6 बजे से 12 बजे तक गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन किया गया । 6 जुलाई को श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी का अखण्ड पाठ श्री संत पूरण सिंह जी महाराज जी द्वारा किया गया जिसकी भोग अरदास 8 जुलाई को की गई । 8 जुलाई से 14 जुलाई तक श्री मद्भगवत् सप्ताह पूज्य प0 श्री विष्णु जी शर्मा के द्वारा किया गया जिसका आयोजन विधि-विधान से किया गया । 16 जुलाई को श्री रामचरितमानस नवम्परायण जी का पाठ पूज्य प0 श्री विष्णु जी शर्मा के द्वारा प्रारम्भ किया गया । जिसका भोग 24 जुलाई को होगा । जिसका सीधा प्रसारण फेसबुक लाईव के जरिए प्रातः 10 से 11 और शाम को 4 से 6 बजे तक होगा । 25 जुलाई को 133 वर्षों से गुरुओं द्वारा देश-विदेश में योग द्वारा जनमानस का उद्धार किया गया । गुरुओं में गुरू योग योगेश्वर महाप्रभु रामलाल जी भगवान, द्वितीय गुरू योग योगेश्वर मुलखराज जी भगवान , तृतीय गुरु योग योगेश्वर देवीदयाल जी महादेव , चतुर्थ गुरू योग योगेश्वर सुरेन्द्रदेव जी महादेव द्वारा देश-विदेश में भक्तों का उद्धार हेतु योग का परचम विश्व भर में बुलन्द किया । जो आज महाप्रभु जी के इस दिव्य मिशन का कार्य स्वामी अमित देव जी द्वारा योग विद्या से अनेकों बिमारियों का ईलाज महाप्रभु जी की कृपा एवं करुणा से किया जा रहा है ।
कोरोना जैसी महामारी योग द्वारा दूर की जा सकती है । सू़त्रनेति, जलनेति, गजकरनी, नासिका में शुद्ध गाय का घी डालने से बिमारी को दूर किया जा सकता है । पूरे भारत वर्ष में अनेक राज्य में योग योगेश्वर महाप्रभु रामलाल जी भगवान के आश्रमों में सुबह-शाम योग क्रियाएँ सिखाई जाती है । जिसमें महिलाओं को महिलाएँ व पुरुषों को पुरुष ही योग सिखाते हैं । किसी भी बिमारी का ईलाज योग के माध्यम से बिना किसी दवाई के किया जाता है । हमें योग अनुभवी योगाचार्य की देख-रेख में ही करना चाहिए । योगेश्वर देवीदयाल जी महाराज के 22वें नित्य लीला प्रवेश उत्सव व जन्म शताब्दी वर्ष पर भव्य विशाल कार्यक्रम होगा । कोरोना काल जैसी वैश्विक महामारी में सारे नियम कायदे के तहत सोशल नेटवर्किंग व फेसबुक लाईव के माध्यम से 26 व 27 जुलाई सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक कार्यक्रम होगा । जो भी निःशुल्क योग सुविधाये लेना चाहता हो वह www.syaat.org पर पूर्ण जानकारी ले सकता है । हमारी संस्थाओं को राज्य व केन्द्र सरकार आयुष मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त है ।
इस अवसर पर योगाचार्य अमित देव जी ने बताया योग योगेश्वर, परम श्रद्धेय, परम शक्तिमान, परम पूजनीय श्री सद्गुरुदेव योगेश्वर देवीदयाल महाराज जी का प्राकट्य अविभाजित पंजाब प्रान्त के जिले ‘झंग’ (पाकिस्तान) की हवेली ‘दीवान’ नामक ग्राम में हुआ। आपके पूज्य पिता जी ‘श्री लाल चन्द’ जी तथा माताजी ‘श्रीमती रत्न देवी’ के धार्मिक वृति के होने से उनकी इच्छा ऐसे पुत्र रत्न की थी जो न केवल स्वयं के लिए अपितु समाज के लिए भी भक्ति का एक प्रेरणा स्रोत बन सके। प्रभु के असीम आशीर्वाद से श्री लाल चन्द जी के घर दिव्य शक्ति सम्पन्न सद्गुरुदेव जी का प्रादुर्भाव विक्रम संवत 1976 (सन् 1920) को फाल्गुन मास (मार्च) तिथि षष्ठी (10) में हुआ।
जीवन-वरितंत:
प्रारम्भिक काल: पूज्य श्री सद्गुरुदेव जी के पिता जी श्री लाल चन्द जी जमींदार थे तथा साथ ही साथ पुलिस सेवा में थे। वे अपनी दिनचर्या में जाप, ध्यान एवं स्वाध्याय को विशेष स्थान देते थे। स्वाध्याय के रूप में ‘योग-वशिष्ठ’ नामक पुस्तक का अध्ययन बड़ी लगन से करते थे। पुलिस विभाग में उनकी छवि एक ईमानदार, करत्व य-परायण एवं निष्ठावान सिपाही के रूप में विख्यात थी। साथ ही वह एक निडर, बहादुर, अत्यन्त होशियार एवं बुद्धिमान पुलिस अफसर माने जाते थे।
उनके सेवाकाल के अनेक ऐसे किस्से विख्यात है, जिसमें उन्होंने अपराधियों को अपनी बुद्धिचातुर्यता से न केवल सजा दिलवाई बल्कि लोगों में न्याय के प्रति सद्भाव भी पैदा किया। सेवा निवृति के पश्चात् भी उनकी संयमित दिनचर्या का बालरूप श्री सद्गुरुदेव जी पर गहरा प्रभाव पड़ा।
पूज्य श्री सद्गुरुदेव जी का जीवन बचपन से ही पारदर्शी जल के समान निर्मल, स्वच्छ एवं पवित्र था। बचपन से ही आप देवालयों में भगवान की मूर्तियों एवं चित्रों को ऐसे टकटकी लगा कर देखते थे जैसे उनके साथ आपका पूर्वजन्म का कोई रिश्ता था।
अनेकों गुरु-कार्यों को पूर्ण निष्ठा व समर्पण से करते हुए आपकी बहुत ही संयमित दिनचर्या थी। समय के साथ-साथ, माता-पिता की ओर से आपको विवाह हेतु प्रस्ताव दिया गया। आप विवाह-बन्धन में नहीं फँसना चाहते थे लेकिन सद्गुरुदेव मुलखराज जी के समझाने के पश्चात् आप विवाह के लिए तैयार हो गये। 1942 में आपका विवाह लाला हीराचन्द जी की सुपुत्री कु0 मीरा के साथ हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। आप द्वारा जब अपनी पत्नी का परिचय सद्गुरुदेव जी से करवाया गया तो उन्होंने उनकी पाक-कला में निपुणता को देखते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया ‘आपकी धर्मपत्नी के हाथ से भण्डारा सदैव बहुत अच्छा रहेगा’ जो कि पूर्णरूपेण सत्य साबित हुआ। पूजनीया गुरुमाता जी का भोजन भण्डारे सम्बन्धी सेवाएँ, उनके प्रेमभाव एवं स्नेहपूर्ण व्यवहार का भक्त समाज सदैव कायल रहेगा।
समयोपरान्त आपके घर में तीन पुत्रों ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने पिता जी की आज्ञाओं को शिरोधार्य करते हुए योग में ही अपने जीवन को लगा दिया। श्री सद्गुरुदेव जी के ज्येष्ठ सपुत्र प्रो. एम. लाल जी, ‘योग चिकित्सक’ के रूप में योग आश्रमों का संचालन करते हैं। आप ‘योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा’ के मर्मज्ञ एवं निपुण विशेषज्ञ हैं। वर्तमान सन्दर्भ में आप देश-विदेश में लाखों योग जिज्ञासुओं को अपने अद्वितीयद्वा शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से लाभान्वित कर रहे हैं। आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती ‘प्रभा देवी’ है। आपकी तीन पुत्रियाँ हैं- अंजलिना, अवंतिका और स्मारिका। श्री सद्गुरुदेव जी के द्वितीय सपुत्र श्री सुरेन्द्र देव जी ‘योग एवं ज्योतिष शास्त्र’ में विशेषज्ञ थे। आपको योग योगेश्वर देवीदयाल जी महाराज ने अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था। आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती ‘शक्ति देवी’ जी है। आपके एक पुत्र है- श्री अमित देव जी। श्री सद्गुरुदेव जी के तृतीय कनिष्ठ सपुत्र श्री ‘अशोक कुमार’ जी, श्री सद्गुरुदेव जी द्वारा सन् 1951 में स्थापित योग दिव्य मंदिर, गोहाना रोड़, रोहतक से आश्रमों का संचालन करते हैं। श्री अशोक कुमार जी अपने प्रारम्भिक जीवन काल से ही ‘मन्त्र-योग’ साधनों द्वारा अनेक आध्यात्मिक अनुष्ठान करते चले आ रहे हैं। योगाचार्य अशोक कुमार जी योग साधनों से जिज्ञासु योग साधकों का उपकार तो करते ही हैं। आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती ‘मीना देवी’ जी है। आपके दो पुत्र है- नितिन और कार्तिक।
संस्था के राष्टीय प्रधान श्री महेश चन्द गोयल, महासचिव राजीव जोली खोसला एवं प्रवक्ता योगाचार्य मंगेश त्रिवेदी द्वारा यह जानकारी दी गई और कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए योग को अपनाने का सभी से निवेदन किया । करोगे योग तो हमेशा रहोगे निरोग ।