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योग योगेश्वर महाप्रभु रामलाल जी भगवान का 133 वां जन्मोत्सव – दो दिवसीय आध्यात्मिक आयोजन

श्री योग अभ्यास आश्रम ट्रस्ट के तत्वाधान में राम नवमी के पावन अवसर पर, योग योगेश्वर महाप्रभु रामलाल जी भगवान के 133 वें जन्मदिन के अवसर पर एक आध्यात्मिक कार्यक्रम के साथ आयोजित किया गया था।

दिनांक 20 और 21 अप्रैल, 2021 को दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। उपस्थित लोगों ने एक परिपूर्ण संयोजन धार्मिक और आध्यात्मिक समामेलन के साथ दिन की भावना में मनाया ।

चिरगुप्त योग विद्या के पुनरूद्धारक योग योगेश्वर महाप्रभु रामलाल जी भगवान इस कलिकाल में योग जैसे महान गोपनीय साधन प्रदत्त करने हेतु परम पूज्य पं0 गंडाराम जी तथा माता भागवन्ती जी के यहाँ भारत वर्ष की पुण्य धरा पर पंजाब के अमृतसर नगर कूचा भाई सन्त सिंह में संवत 1945 चैत्र शुक्ल 9 को अवतरित हुए । योग तथा आध्यात्म की गहन लगन प्रभु रामलाल जी में बचपन से ही दृष्टिगोचर होने लगी । आगामी घटनाओं को प्रत्यक्षवत् देख लेने और सटीक भविष्यवाणी करने की अद्भुत शक्ति भी उनमें देखने को मिलती थी । यह वह समय था जब लोग दुर्बल, बीमार, चिन्तातुर, रसहीन, निराश-हताश और मृत प्रायः अवस्था को प्राप्त हो रहे थे।


ऐसी दुर्दशा को देख कर करूणा-वरूणालय प्रभु रामलाल जी ने लुप्त योग विद्या को पुनर्जन्म देने के लिए मर्यादावश सद्गुरु की खोज में यत्र-तत्र भ्रमण करना शुरू किया । जब नेपाल से आगे हिमालय की ओर अग्रसर हो रहे थे, तब दिव्य दृष्टि के दाता ‘अदि महाप्रभु’ आपकी इस तपश्चर्या और घोर तितीशा को देख कर अर्द्धरात्रि के समय आपको दर्शन देकर अपने निज स्थान के लिए आकाश मार्ग से ले चले । ‘अदि महाप्रभु’ के आसन-स्थान पर पहुँचते ही आप आत्म समर्पित भाव-भक्ति पूर्ण सेवा रूप हो गये । तब ‘महाप्रभु’ ने प्रसन्न हो आपको अभेद कर अष्टांग योग का स्वामी बना दिया । यह सत्य है कि आपके कर-कमलों द्वारा अनेकानेक साध्य-असाध्य रोगी निरोगता को प्राप्त हुए । अपने चरण-शरण शिष्यों को ध्यान-समाधि का दान देकर योग आचार्य बना दिया । योग अभ्यास केन्द्रों की स्थापना की अन्ततः रामलाल महाप्रभु सन् 1938 में बसंत पंचमी की प्रातः वेला में कई एक अलौकिक घटनाओं के साथ मर्यादा रूप से भौतिक शरीर का परित्याग कर दिव्य शरीर से आकाश गमन कर गए । यह परम सौभाग्य की बात है कि उनके उत्त्तराधिकारी योगेश्वर मुलखराज जी महाराज, उनके बाद योगेश्वर देवीदयाल जी महाराज तथा सदगुरुदेव स्वामी सुरेन्द्र देव जी महाराज जैसे महापुरुष हुए जिन्होंने योग प्रदीप के प्रकाश को घर-घर तक पहुँचा दिया।

यह अयोजन योगेश्वर देवी दयाल जी महाराज के पौत्र तथा योगेश्वर सुरेंद्र देव जी महाराज के पुत्र एवं उत्तराधिकारी, प्रधान योगाचार्य स्वामी अमित देव जी के सान्निध्य में किया गया।

यह कार्यक्रम श्री योग अभ्यास आश्रम, श्याम सुन्दर पुरी, जगाधरी में आयोजित किया गया था। पहले दिन, प्रातः 6 बजे से प्रारम्भ हुआ कार्यक्रम, जिसमें प्रथना (और अन्य आध्यात्मिक रूप से समृद्ध कार्यकलाप) शामिल थी। इसके बाद कलश पूजन, शोभा यात्रा, प्रतिष्ठा का आयोजन किया था। सत्संग और भंडारा।

सभी प्रभु प्रेमी भक्त कोविड 19 के नियमो का पालन करते हुए धूमधाम और हर्षोल्लास से महाप्रभु जी की शोभायात्रा बुढ़िया गाँव में यमुना मईया जी के तट पर ले कर गए। इस अवसर पर स्वामी अमितदेव जी ने सभी भक्तों को महाप्रभु रामलाल जी भगवान जी के योग को नित्यप्रति करने के लिए प्रेरित किया एवं जलक्रिया नेति इन सभी क्रियाओं के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। साथ ही वे अक्सर इस बात पर गहन चर्चा की है कि योग योगेश्वर महाप्रभु रामलाल जी भगवान ने मानव रूप ग्रहण किया, क्योंकि आज के लोग योग के प्राचीन ज्ञान को भूल गए हैं और समाज के भौतिकवादी लालच को महत्त्व दे रहे हैं। सही संतुलन खोजने और खोए हुए ज्ञान, रचना और शांति को बनाए रखने की आवश्यकता समय की आवश्यकता है। जबकि उनका मानना है कि दुनिया यौगिक जिंदगी में वापस जाने वाली है।

राम नवमी के पावन पर्व पर, श्री राम स्वरूप दुआ जी, श्री फतेहचंद दुआ जी, श्री राजिंदर बजाज जी, श्री नीरज गुलाटी जी, श्री दीपक गुलाटी जी, श्री राजीव तनेजा जी, श्री अशोक मेहंदीरत्ता जी, श्री कस्तूरी लाल विग जी, एवं समस्त भक्त समाज का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।

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